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अनुवाद बनाने के नियम और विभक्ति का प्रयोग
1. प्रथमा विभक्ति का
प्रयोग
- कर्ता कारक के साथ
प्रथमा विभक्ति का प्रयोग होता है।
राम आम खाता है। रामः आम्रम् खादति।
- संबोधन के साथ प्रथमा
विभक्ति का प्रयोग होता है।
हे कृष्ण! तुम क्या करते
हो। हे कृष्ण:! त्वं किं करोसि।
2. द्वितीया विभक्ति का
प्रयोग
- कर्म कारक के साथ
द्वितीय विभक्ति का प्रयोग होता है।
तुम राम को पीटते हो।
त्वं रामम् ताड्यसि।
- "धिक्कार"
या "बिना" जैसे शब्द के साथ
द्वितीय विभक्ति का प्रयोग होता है।
महेश को धिक्कार है।
महेशं धिक्।
परिश्रम के बिना विद्या
नहीं होती है। परिश्रमम् विना विद्या न भवति।
- अभितः, परितः सर्वतः,
उभयतः, निकषा, समया, अन्तरा, अन्तरेण, यावत् अनु और प्रति के योग में द्वितीया'
होती है।
घर के चारों ओर वृक्ष
हैं। गृहं परितः वृक्षाणि सन्ति।
तालाब के समीप मंदिर है।
तडागं समिपः मन्दिरम् अस्ति।
3. तृतीया विभक्ति का
प्रयोग
- करण कारक में तृतीया
विभक्ति का प्रयोग होता है।
राम कलम से लिखता है।
रामः कलमेन लिखति।
- "सह" जैसे शब्द के साथ तृतीया विभक्ति का प्रयोग
होता है।
राम शिक्षक के साथ
विद्यालय जाता है। रामः शिक्षकेन सह विद्यालयम् गच्छति।
- प्रयोजन के अर्थ में
तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है।
कुमित्र से क्या प्रयोजन।
कुमित्रेन किम् प्रयोजनम्।
- बेकार और व्यर्थ के
अर्थ में तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है।
विवाद मत करो। विवादेन
अलम्।
- शरीर के किस अंग से
विकार प्रगट हो उस अंग के साथ तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है।
राम पैर से लंगड़ा है।
रामः पादेन खञ्जः अस्ति।
- प्रकृति और स्वभाव को
बताने वाले शब्दों के साथ तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है।
राम स्वभाव से सरल है।
रामः स्वभावेन सरलः अस्ति।
4. चतुर्थी विभक्ति का
प्रयोग
- संप्रदान कारक में
चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।
राम सीता को पत्र लिखता
है। रामः सीताय पत्रं लिखति।
- "नमस्कार"
"स्वाहा" और "आवाहन" जैसे शब्द में
चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।
गणेश को नमस्कार हैं।
गणेशाय नमः।
- इच्छा, अभिरुचि, क्रोध,
द्रोह शब्द के साथ चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।
राम को मिठाई अच्छा लगता
है। रामाय मोदकं रोचते।
- जिस प्रयोजन के लिए कोई
कार्य किया जाए उसके साथ चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।
वह धन के लिए कार्य करता
है। सः धनाय कार्यम् करोति।
5. पंचमी विभक्ति का
प्रयोग
- अपादान कारक में पंचमी
विभक्ति का प्रयोग होता है।
गंगा हिमालय से निकलती
है। गङ्गा हिमालयात् निःसरति।
- "भय" और "अलग होने" के अर्थ में पंचमी विभक्ति का प्रयोग होता है।
तुम बाघ से डरते हो।
त्वम् व्याघ्रात्
विभेति।
- जिससे विद्या पढ़ी जाने
की बात हो उसमें पंचमी विभक्ति का प्रयोग होता है।
मैं पुस्तकालय से पुस्तक
पढ़ता हूं। अहं पुस्तकालयात् पुस्तकम् पठामि।
- तुलना में पंचमी विभक्ति
का प्रयोग होता है।
श्याम राम से मोटा है।
श्यामः रामात् स्थुलतरः अस्ति।
6. षष्ठी विभक्ति का
प्रयोग
- संबंध में षष्ठी विभक्ति
का प्रयोग होता है।
राम का भाई घर जाता है।
रामस्य भ्राता गृहम् गच्छति।
7. सप्तमी विभक्ति का
प्रयोग
- अधिकरण कारक में सप्तमी
विभक्ति का प्रयोग होता है।
वृक्ष पर बंदर है। वृक्षे
बानरः अस्ति।
- संलग्न, चतुर, तत्पर,
कुशल, निपुण इन सभी शब्दों के साथ सप्तमी विभक्ति का प्रयोग होता है।राम शास्त्र में निपुण
है। रामः शास्त्रे निपुणः अस्ति।
- किस समुदाय में विशेषता
बताने के लिए सत्य व्यक्ति का प्रयोग होता है।
कवियों में कालिदास
श्रेष्ठ है। कविषु कालिदासः श्रेष्ठः अस्ति।
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